Friday 8 August 2014

बातों के गुंचे खुशबुओं में लपेट कर... अपने जज़्बात शेरों में समेट कर... फिर एक बार हाज़िर हूँ लेकर... कहे कामिनी - Part 3 के कुछ अंश... :)


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